
गुज़रते हुए पल
गुज़रते हुए हर पल को महसून किया था एक बरस के समानजाने कैसे आज एक बरस लग रहा है जैसे एक पल ही तो था छोटे क़दमों से चल के एक राह काटी जहाँ आने तकवह समां लग रहा कुछ खाली और तनहा सा शुरू किया था जब ये सफर, लम्बा था रास्ता बहुत उदासी थी दिल मेंअब वो काट गया है तो आगे का भय सा है फिर कल को ले कर न जाने हर पल तुम्हारे बिन कटेगा कैसे ऐ मित्रदिल के जिस कोने में तुम थे, वह सदा के लिए सूना ही रहेगा न दिल खोल कर होंगी बातें, न मिलना ही होगाजाने … Continue reading गुज़रते हुए पल