मन बह रहा था इक रोज ऐसे ही आकाश में,
रुक गई अचानक, मैं यू ही राह में…
दिखा तो नहीं कोई, बस कुछ जानी सी आवाज आई,
मुदद के बाद एहसास तो हुआ, पर दिखा नहीं कोई…
खो गया मन फिर किसी राह में, कुछ पल को,
फिर लौट आई जिंदगी तेरे ही पनाह में,
लौट आई जिंदगी तेरे ही पनाह में…
उत्तम 👌
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Kya khoob likha apne
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Thanks
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